मोदी ने
गरीबों की
समृद्धि में
योगदान के
लिए खादी के
कपड़े खरीद करने
के लिए श्रोताओं
का आग्रह किया।
उन्होंने यह
भी स्वच्छ भारत अभियान,
भारत के मंगल
मिशन, कौशल विकास,
विकलांग बच्चों
और mygov.in वेबसाइट की
सफलता पर चर्चा
की।
मेरे प्यारे देशवासियो,
आज विजयदशमी का
पावन पर्व है। आप सबको विजयदशमी की अनेक- अनेक शुभकामनाएं।
मैं आज रेडियो के
माध्यम से आपसे कुछ मन की बाते बताना चाहता हूं और मेरे मन में तो ऐसा है कि सिर्फ आज नहीं कि बातचीत का अपना क्रम आगे भी चलता रहे। मैं कोशिश करूंगा, हो सके तो महीने में दो बार या तो महीने
में एक बार समय निकाल कर के आपसे बाते करूं।
आगे चलकर के मैंने मन में यह भी
सोचा है कि जब भी
बात करूंगा तो रविवार होगा और समय प्रात: 11 बजे का होगा तो आपको भी सुविधा रहेगी और मुझे भी ये
संतोष होगा कि मैं मेरे मन की बात
आपके मन तक
पहुंचाने में सफल हुआ हूं।
आज जो विजयदशमी का
पर्व मनाते हैं ये विजयदशमी का पर्व बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय का पर्व है। लेकिन एक श्रीमान गणेश वेंकटादरी मुंबई के सज्जन, उन्हों ने मुझे एक मेल भेजा,
उन्होंने कहा कि
विजयदशमी में हम अपने भीतर की दस बुराइयों को खत्म करने का
संकल्प करें। मैं उनके इस सुझाव के
लिए उनका आभार
व्यक्त करता हूं। हर कोई जरूर सोचता होगा अपने-अपने भीतर की जितनी ज्यादा बुराइयों को पराजय करके विजय प्राप्त करे, लेकिन राष्ट्र के
रूप में मुझे लगता
है कि आओ विजयदशमी के पावन पर्व पर हम सब गंदगी से मुक्ति का संकल्प करें और गंदगी को खत्म कर कर के विजय प्राप्त करना विजयदशमी के पर्व पर हम ये संकल्प कर सकते हैं।
कल 2 अक्टूबर पर महात्मा गांधी की जन्म जयंती
पर “स्वच्छभारत” का अभियान सवा सौ करोड़ देशवासियों ने आरंभ
किया है। मुझे विश्वास है कि आप सब
इसको आगे
बढ़ाएंगे। मैंने कल एक बात कही थी “स्वच्छ भारत अभियान”
में कि मैं नौ लोगों को निमंत्रित करूंगा और वे
खुद सफाई करते हुए अपने वीडियो को
सोशल मीडिया में
अपलोड करेंगे और वे ‘और’ नौ लोगों को निमंत्रित करेंगे। आप
भी इसमें जुडि़ए, आप सफाई कीजिए, आप जिन नौ लोगों का आह्वान करना चाहते
हैं, उनको कीजिए, वे भी सफाई करें, आपके साथी मित्रों को कहिए, बहुत ऊपर जाने की जरूरत नहीं,
और नौ लोगों को
कहें, फिर वो और नौ लोगों को कहें, धीरे-धीरे पूरे देश में ये माहौल बन
जाएगा। मैं विश्वास करता हूं कि इस काम
को आप आगे बढ़ायेंगे।
हम जब महात्मा
गांधी की बात करते हैं,
तो खादी की बात
बहुत स्वाभाविक ध्यान में आती है। आपके परिवार में अनेक
प्रकार के वस्त्र होंगे, अनेक प्रकार के वस्त्र होंगे, अनेक प्रकार के फैब्रिक्स होंगे,
अनेक कंपनियों के products होंगे,
क्या उसमें एक
खादी का नहीं हो सकता क्या,
मैं अपको खादीधारी बनने के लिए नहीं कह रहा, आप पूर्ण खादीधारी होने का व्रत करें, ये भी नहीं कह रहा। मैं सिर्फ इतना कहता
हूं कि कम से कम एक चीज,
भले ही वह हैंडकरचीफ, भले घर में नहाने का तौलिया हो, भले हो सकता है बैडशीट हो,
तकिए का कबर हो, पर्दा हो, कुछ तो भी हो, अगर परिवार में हर प्रकार के फैब्रिक्स का शौक है, हर प्रकार के कपड़ों का शौक है, तो ये नियमित होना चाहिए और ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि अगर आप खादी का वस्त्र खरीदते हैं तो एक गरीब के घर में दीवाली का दीया जलता
है और इसीलिए एकाध चीज …
और इन दिनों तो 2 अक्टूबर से लेकर करीब महीने भर खादी के बाजार में स्पेशल डिस्काउंट होता है,
उसका फायदा भी उठा
सकते हैं। एक छोटी चीज……
और आग्रहपूर्वक इसको करिए और आप देखिए गरीब
के साथ आपका कैसा जुड़ाव आता है।
उस पर आपको कैसी
सफलता मिलती है। मैं जब कहता हूं सवा सौ करोड़ देशवासी अब तक क्या हुआ है…. हमको लगता है सब कुछ सरकार करेगी और हम
कहां रह गए, हमने देखा है …. अगर आगे बढ़ना है तो सवा सौ करोड़
देशवासियों को…करना पड़ेगा ….. हमें खुद को पहचानना पड़ेगा, अपनी शक्ति को जानना पड़ेगा और मैं सच
बताता हूं हम विश्व
में अजोड़ लोग हैं। आप जानते हैं हमारे ही वैज्ञानिकों ने कम से कम खर्च में मार्स पहुंचने का सफल प्रयोग, सफलता पूर्वक पर कर दिया। हमारी ताकत में कमी नहीं है, सिर्फ हम अपनी शक्ति को भूल चुके हैं। अपने आपको भूल चुके हैं। हम जैसे निराश्रित बन गए हैं.. नहीं मेरे प्यारे भइयों बहनों ऐसा नहीं हो सकता। मूझे
स्वामी विवेकानन्द जी जो एक बात कहते
थे, वो बराबर याद आती है। स्वामी विवेकानन्द अक्सर एक बात हमेशा बताया करते थे। शायद ये बात उन्होंने कई बार
लोगों को सुनाई होगी।
विवेकानन्द जी
कहते थे कि एक बार एक शेरनी अपने दो छोटे-छोटे बच्चों को ले कर के रास्ते से गुजर रही थी। दूर से उसने भेड़ का झुंड देखा, तो शिकार करने का मन कर गया,
तो शेरनी उस तरफ
दौड़ पड़ी और उसके साथ उसका एक बच्चा
भी दौड़ने लगा।
उसका दूसरा बच्चा पीछे छूट गया और शेरनी भेड़ का शिकार करती हुई आगे बढ़ गई। एक बच्चा भी चला
गया, लेकिन एक बच्चा बिछड़ गया, जो बच्चा बिछड़ गया उसको एक माता भेड़ ने उसको पाला-पोसा बड़ा किया और वो शेर भेड़ के बीच में ही बड़ा होने लगा। उसकी
बोलचाल, आदतें सारी भेड़ की जैसी हो गईं। उसका हंसना खेलना, बैठना, सब भेड़ के साथ ही हो गया। एक बार, वो जो शेरनी के साथ बच्चा चला गया था, वो अब बड़ा हो गया था। उसने उसको एक बार देखा ये क्या बात है। ये तो शेर है और
भेड़ के साथ खेल रहा है। भेड़ की
तरह बोल रहा है।
क्याहो गया है इसको। तो शेर को थोड़ा अपना अहम पर ही संकट आ गया। वो इसके पास गया। वो कहने लगा अरे तुम क्या कर रहे हो। तुम तो शेर हो। कहता- नहीं, मैं तो भेड़ हूं। मैं तो इन्हीं के बीच पला-बढ़ा हूं। उन्होंने मुझे बड़ा किया है। मेरी आवाज देखिए, मेरी बातचीत का तरीका देखिए।
तो शेर ने कहा कि
चलो मैं दिखाता हूं तुम कौन हो। उसको एक कुएं के पास ले गया और कुएं में पानी के अंदर उसका चेहरा दिखाया और खुद के चेहरे के साथ उसको कहा- देखो, हम दोनों का चेहरा एक है। मैं भी शेर हूं, तुम भी शेर हो और जैसे ही उसके भीतर से आत्म सम्मान जगा, उसकी अपनी पहचान हुई तो वो भी उस शेर की तरह, भेड़ों के बीच पला शेर भी दहाड़ने लगा। उसके भीतर का सत्व
जग गया। स्वामी विवेकानंद जी यही कहते थे।
मेरे देशवासियों, सवा सौ करोड़ देशवासियों के भीतर अपार शक्ति है,
अपार सामर्थ्य है।
हमें अपने आपको पहचानने की जरूरत है। हमारे भीतर की ताकत
को पहचानने की जरूरत है और फिर
जैसा स्वामी
विवेकानंदजी ने कहा था उस आत्म-सम्मान को ले करके, अपनी सही पहचान को ले करके हम चल पड़ेंगे, तो विजयी होंगे और हमारा राष्ट्र भी
विजयी होगा, सफल होगा। मुझे लगता है हमारे सवा सौ करोड़ देशवासी भी सामर्थ्यवान हैं, शक्तिवान हैं और हम भी बहुत विश्वास के साथ खड़े हो सकते हैं।
इन दिनों मुझे
ई-मेल के द्वारा सोशल मीडिया के द्वारा,
फेस-बुक के द्वारा कई मित्र मुझे चिट्ठी लिखते हैं।
एक गौतम पाल करके व्यक्ति ने एक
चिंता जताई है, उसने कहा है कि जो स्पैशली एबल्ड चाईल्ड
होते हैं, उन बालकों के लिए नगरपालिका हो,
महानगरपालिका, पंचायत हो, उसमें कोई न कोई विशेष योजनाएं होती रहनी चाहिएं। उनका
हौसला बुलन्द करना चाहिए। मुझे उनका
ये सुझाव अच्छा
लगा क्यों कि मेरा अपना अनुभव है कि जब मैं गुजरात में मुख्यामंत्री था तो 2011
में एथेन्स में जो
स्पेशल ओलम्पिक होता है,
उसमें जब गुजरात के बच्चे गये और विजयी होकर
आये तो मैंने उन सब बच्चों
को, स्पेशली एबल्ड बच्चों को मैंने घर बुलाया। मैंने दो घंटे उनके
साथ बिताये, शायद वो मेरे जीवन का बहुत ही इमोशनल, बड़ा प्रेरक, वो घटना थी। क्योंकि
मैं मानता हूं कि
किसी परिवार में स्पेशली एबल्ड बालक है तो सिर्फ उनके मां-बाप का दायित्व नहीं है। ये पूरे समाज का दायित्व है। परमात्मा ने शायद उस परिवार को पसंद किया है, लेकिन वो बालक तो सारे राष्ट्र् की जिम्मेसदारी होता है। बाद में इतना मैं
इमोशनली टच हो गया था कि मैं गुजरात
में स्पेशली
एबल्ड बच्चों के लिए अलग ओलम्पिक करता था। हजारों बालक आते थे, उनके मां-बाप आते थे। मैं खुद जाता था। ऐसा एक विश्वास का वातावरण पैदा होता था और इसलिए मैं गौतम पाल के
सुझाव, जो उन्होंने दिया है, इसके लिये मैं, मुझे अच्छा लगा और मेरा मन कर गया कि मैं
मुझे जो ये सुझाव आया है मैं आपके साथ शेयर करूं।
एक कथा मुझे और भी
ध्यान आती है। एक बार एक राहगीर रास्ते के किनारे पर बैठा था और आते-आते सबको पूछ रहा था मुझे वहाँ पहुंचना है, रास्ता कहा है।
पहले को पूछा, दूसरे को पूछा, चौथे को पूछा। सबको पूछता ही रहता था और उसके बगल में एक सज्जन बेठे थे। वो सारा देख रहे थे। बाद में खड़ा हुआ। खड़ा होकर किसी को पूछने लगा, तो वो सज्जन खड़े हो करके उनके पास आये।
उसने कहा – देखो भाई, तुमको जहां जाना है न, उसका रास्ता इस तरफ से जाता है। तो उस राहगीर ने उसको पूछा कि भाई साहब आप
इतनी देर से मेरे बगल में बेठे हो,
मैं इतने लोगों को
रास्ता पूछ रहा हूं, कोई मुझे बता नहीं रहा है। आपको पता था तो आप क्यों नहीं बताते थे। बोले, मुझे भरोसा नहीं था कि तुम सचमुच में चलकर के जाना चाहते हो या नहीं चाहते
हो। या ऐसे ही जानकारी के लिए
पूछते रहते हो।
लेकिन जब तुम खड़े हो गये तो मेरा मन कर गया कि हां अब तो इस आदमी को जाना है,
पक्का लगता है। तब जा करके मुझे लगा कि मुझे
आपको रास्ता दिखाना चाहिए।
मेरे देशवासियों, जब तक हम चलने का संकल्प नहीं करते, हम खुद खड़े नहीं होते, तब रास्ता दिखाने वाले भी नहीं मिलेंगे। हमें उंगली पकड़ कर चलाने वाले नहीं मिलेंगे। चलने की शुरूआत हमें
करनी पड़ेगी और मुझे विशवास है कि
सवा सौ करोड़ जरूर
चलने के लिए सामर्थ्यवान है, चलते रहेंगे।
कुछ दिनों से मेरे
पास जो अनेक सुझाव आते हैं,
बड़े इण्टरेस्टिंग
सुझाव लोग भेजते हैं। मैं जानता हूं कब कैसे कर
पायेंगे, लेकिन मैं इन सुझावों के लिए भी एक सक्रियता जो है न, देश हम सबका है, सरकार का देश थोड़े न है। नागरिकों का देश है। नागरिकों का जुड़ना बहुत जरूरी है। मुझे कुछ लोगों ने कहा है कि जब वो लघु उद्योग शुरू करते
हैं तो उसकी पंजीकरण जो प्रक्रिया है वो आसान होनी चाहिए। मैं
जरूर सरकार को उसके लिए सूचित
करूंगा। कुछ लोगों
ने मुझे लिख करके भेजा है –
बच्चों को पांचवीं
कक्षा से ही स्किल डेवलेपमेंट सिखाना चाहिए। ताकि
वो पढ़ते ही पढ़ते ही कोई न कोई
अपना हुनर सीख लें, कारीगरी सीख लें। बहुत ही अच्छा सुझाव
उन्होंने दिया है। उन्होंहने ये भी कहा है कि युवकों को
भी स्किल डेवलेपमेंट होना चाहिए
उनकी पढ़ाई के
अंदर। किसी ने मुझे लिखा है कि हर सौ मीटर के अंदर डस्ट बीन होना चाहिए, सफाई की व्यनवस्था करनी है तो।
कुछ लोगों ने मुझे
लिख करके भेजा है कि पॉलीथिन के पैक पर प्रतिबंध लगना चाहिए। ढेर सारे सुझाव लोग मुझे भेज रहे हैं। मैं आगे से ही आपको कहता हूं अगर आप मुझे कहीं पर भी कोई सत्य घटना
भेजेंगे, जो सकारात्मरक हो, जो मुझे भी प्रेरणा दे,
देशवासियों को
प्रेरणा दे, अगर ऐसी सत्य घटनाएं सबूत के साथ मुझे भेजोगे तो मैं जरूर जब मन की
बात करूंगा, जो चीज मेरे मन को छू गयी है वो बातें मैं जरूर देशवासियों तक
पहुंचाऊंगा।
ये सारा मेरा
बातचीत करने का इरादा एक ही है –
आओ, हम सब मिल करके अपनी भारत माता की सेवा करें। हम देश को नयी
ऊंचाइयों पर ले जायें। हर कोई एक
कदम चले, अगर आप एक कदम चलते हैं, देश सवा सौ करोड़ कदम आगे चला जाता है और इसी काम के लिए आज विजयदशमी के पावन पर्व
पर अपने भीतर की सभी बुराइयों को
परास्त करके विजयी
होने के संकल्पर के साथ,
कुछ अच्छा करने का
निर्णय करने के साथ हम सब प्रारंभ करें। आज मेरी शुभ
शुरूआत है। जैसा जैसा मन में आता
जायेगा, भविष्य में जरूर आपसे बातें करता रहूंगा।
आज जो बातें मेरे मन में आईं वो बातें मैंने आपको कही है। फिर जब
मिलूंगा, रविवार को मिलूंगा। सुबह 11 बजे मिलूंगा लेकिन मुझे विश्वास है कि
हमारी यात्रा बनी रहेगी,
आपका प्यार बना रहेगा।
आप भी मेरी बात
सुनने के बाद अगर मुझे कुछ कहना चाहते हैं, जरूर मुझें
पहुंचा दीजिये, मुझे अच्छा लगेगा। मुझे बहुत अच्छा लगा आज आप सबसे बातें कर केऔर रेडियो का….ऐसा सरल माध्यम है कि मैं दूर-दूर तक
पहुंच पाऊंगा। गरीब से गरीब घर तक पहुंच जाऊंगा, क्योंकि मेरा, मेरे देश की ताकत गरीब की झोंपडी में है, मेरे देश की ताकत गांव में है, मेरे देश की ताकत माताओं, बहनों, नौजवानों में है, मेरी देश की ताकत किसानों में है। आपके भरोसे से ही देश आगे बढ़ेगा। मैं विश्वास
व्यक्त करता हूं। आपकी शक्ति में भरोसा है इसलिए मुझे भारत के भविष्य में
भरोसा है।
मैं एक बार आप
सबको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। आपने समय निकाला। फिर एक बार बहुत-बहुत
धन्यवाद।